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तालिबान ने कहा, 'मार्च से लड़कियां फिर जाएंगी स्कूल'

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Posted On:Monday, January 17, 2022

Afghanistan, 17 Jan (News Helpline)       तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रमुख मांगों में से एक को लागू करने के लिए एक समयसीमा की घोषणा की है। उसने कहा है कि उम्मीद है कि मार्च के बाद देशभर में लड़कियों के स्कूल खुल जाएंगे। पिछले साल अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश के अधिकांश हिस्सों में लड़कियों को सातवीं कक्षा के बाद स्कूलों में जाने की इजाजत नहीं है। 
 
तालिबान ने 20 साल पहले अपने शासन में महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को डर है कि तालिबान एक बार फिर इसी तरह के कदम उठा सकता है। 
 
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय जोर देकर कहता आया है कि तालिबान देश में एक व्यापक सरकार स्थापित करने के अलावा महिलाओं को भी अधिकार दें। तालिबान के संस्कृति और सूचना उप मंत्री जबीउल्लाह मुजाहिद ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि शिक्षा विभाग अफगानिस्तान में 21 मार्च से सभी लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा देने पर विचार कर रहा है।
 
मुजाहिद ने कहा कि लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा "सरकार की क्षमता का सवाल है" साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूलों में लड़कियों और लड़कों को पूरी तरह से अलग रखना होगा। उन्होंने कहा, "हमारे लिए अब तक की सबसे बड़ी बाधा लड़कियों के लिए छात्रावास ढूंढना या बनाना है। घनी आबादी वाले इलाकों में लड़कियों के लिए हॉस्टल बनाने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है, जिससे वे स्कूल आसानी से जा सके। 
 
तालिबानी नेता मुजाहिद ने कहा, "हम शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं"। तालिबान के इस दावे के बावजूद कि महिलाओं की शिक्षा एक बाधा नहीं है, लड़कियों को देश के 34 प्रांतों में से 10 को छोड़कर सातवीं कक्षा से आगे की कक्षाओं में जाने की इजाजत नहीं है। हालांकि राजधानी काबुल के निजी विश्वविद्यालयों और हाई स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां हमेशा की तरह चल रही हैं, जहां लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग क्लासरूम बनाए गए हैं। 
 
वादा निभाएगा तालिबान? मुजाहिद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नए साल (नौरोज) की शुरुआत तक इन मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा, ताकि स्कूल और विश्वविद्यालय खोले जा सकें। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की स्थिति यह है कि वह तालिबान को उनकी घोषणाओं और वादों के बजाय उनके कार्यों के आधार पर परखेगा। 
 
अंतरराष्ट्रीय समुदाय महिलाओं की शिक्षा और तालिबान के अन्य दावों पर संदेह करता रहा है। साथ ही समुदाय मानवीय तबाही को रोकने के लिए अरबों डॉलर देने से भी हिचक रहा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने चेतावनी दी है कि लाखों अफगानों की जान खतरे में पड़ सकती है।


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