मुंबई, 30 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ सरकार ने एक बिल पास किया है। इसके लागू होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अपनी मर्जी से किसी केस में सुओ मोटो (किसी केस में बिना अपील के सुनवाई करना) नहीं ले सकेंगे। इतना ही नहीं नए बिल में कुछ और ऐसी बातें जोड़ी गई हैं, जिससे साफ हो जाता है कि चीफ जस्टिस अब ज्यादातर मामलों में अपने सहयोगी जजों की मंजूरी के बिना फैसले नहीं ले सकेंगे। इस बिल की सबसे अहम बात यह है कि चीफ जस्टिस किसी भी मामले में जो बेंच बनाते थे, उसमें अपने करीबी जजों को ही जगह देते थे। बिल के मुताबिक, अब सिर्फ सीनियर मोस्ट जज ही बेंच का हिस्सा बन सकते हैं।
वहीं, नेशनल असेंबली में इस बिल पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा, पूरे मुल्क और पूरी दुनिया में हमारी ज्यूडिशियरी और सुप्रीम कोर्ट का मजाक उड़ रहा है। एक लाडले (इमरान) को बचाने के लिए जज उसकी कार के पास खड़े होकर उसकी बात करते हैं, फिर जमानत दे देते हैं। संसद में बिल पर हुई बहस का जवाब देते हुए शरीफ ने कहा, अगर हमने आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर लगाम नहीं लगाई तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा। इस बिल को कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने पेश किया। बिल का नाम है, द सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसिजर एक्ट 2023)। तरार ने कहा, कई सांसद मांग कर रहे थे कि संविधान में संशोधन की जरूरत है, ताकि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिस पर लगाम कसी जा सके। हमें नहीं लगता संविधान संशोधन की जरूरत है। एक बिल से ही मकसद पूरा हो सकता है।