जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपने कोटे की सभी 101 सीटों पर प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी कर दी है। पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सामाजिक इंजीनियरिंग की रणनीति को ध्यान में रखते हुए, सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है। सूची पर गहराई से नज़र डालने पर पता चलता है कि जदयू ने सबसे अधिक टिकट पिछड़ा वर्ग को दिए हैं, जबकि 'लव-कुश' समीकरण को मज़बूत करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।
सामाजिक श्रेणी |
आवंटित सीटें |
प्रतिशत (लगभग) |
पिछड़ा वर्ग |
37 |
36.6% |
अतिपिछड़ा वर्ग |
22 |
21.8% |
सामान्य श्रेणी |
22 |
21.8% |
अनुसूचित जाति (SC) |
15 |
14.8% |
अल्पसंख्यक |
4 |
3.9% |
अनुसूचित जनजाति (ST) |
1 |
1.0% |
कुल |
101 |
100% |
'लव-कुश' और पिछड़ा वर्ग को सर्वोच्च प्राथमिकता
जदयू की रणनीति में पिछड़ा वर्ग (37 सीटें) सबसे आगे रहा है। पार्टी ने अपने कोर वोट बैंक 'लव-कुश' समीकरण को मज़बूती दी है, जिसके तहत 25 उम्मीदवारों को टिकट मिला है:
पिछड़ा वर्ग के अन्य प्रमुख समुदायों में यादव और धानुक जाति के 8-8 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है, जो यह दर्शाता है कि पार्टी यादव समुदाय के एक हिस्से को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। वहीं, निषाद समाज (मल्लाह) से 3, गंगौता से 2, और कामत, चंद्रवंशी, तेली व कलवार जाति से 2-2 प्रत्याशियों को मौका दिया गया है। इसके अलावा, हलवाई, कानू, अग्रहरि, सुढ़ी और गोस्वामी समाज से एक-एक प्रत्याशी मैदान में हैं।
सामान्य श्रेणी में राजपूत और भूमिहार का दबदबा
सामान्य वर्ग (कुल 22 सीटें) में भी जदयू ने जातीय संतुलन साधने का प्रयास किया है, लेकिन यहाँ राजपूत और भूमिहार जातियों को प्रमुखता मिली है:
एससी, एसटी और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व
जदयू ने अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित 15 सीटों पर भी विभिन्न उप-जातियों के बीच टिकटों का वितरण किया है:
-
मुसहर-मांझी और रविदास समुदाय को 5-5 सीटें।
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पासी को 2 सीटें।
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पासवान, सरदार-बांसफोर, खरवार और धोबी समुदाय को 1-1 सीट मिली है।
पार्टी ने अल्पसंख्यक समाज से कुल 4 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। इन 4 सीटों को सामाजिक वर्गीकरण के आधार पर दो अति पिछड़ा वर्ग और दो सामान्य श्रेणी से टिकट दिए गए हैं। अनुसूचित जनजाति (ST) से 1 प्रत्याशी को टिकट मिला है। इसके अतिरिक्त, जदयू ने इस बार 101 सीटों में से कुल 13 महिलाओं को मैदान में उतारकर महिला प्रतिनिधित्व को मज़बूत करने का प्रयास किया है, हालांकि यह संख्या कुल सीटों का लगभग 13% ही है। कुल मिलाकर, जदयू की यह सूची स्पष्ट करती है कि पार्टी ने जीत की संभावना के साथ-साथ बिहार के जटिल जातीय समीकरणों को साधने पर पूरा ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें पिछड़े और अति-पिछड़े वर्ग की भागीदारी सबसे अधिक है।