बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी के दालमंडी इलाके में जारी ध्वस्तीकरण और जबरन अधिग्रहण की कार्रवाई को लेकर व्यापारियों और स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है। बुधवार को कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित व्यापारियों के साथ जिलाधिकारी से मिला और इस कार्रवाई को तुरंत रोकने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे और जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल ने किया। व्यापारियों ने डीएम को बताया कि प्रशासन बिना नोटिस और वैकल्पिक व्यवस्था के उनकी दुकानें तोड़ रहा है, जिससे उनकी रोज़ी-रोटी खतरे में है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रशासन की कार्रवाई अमानवीय और अन्यायपूर्ण है। उन्होंने डीएम को ज्ञापन सौंपकर कहा कि नोटिस की धमकियों और जबरन अधिग्रहण से हजारों परिवार संकट में हैं। राघवेंद्र चौबे ने कहा कि दालमंडी सिर्फ बाजार नहीं बल्कि काशी की आर्थिक और सांस्कृतिक धड़कन है, जिसे सरकार कॉरपोरेट के हवाले करना चाहती है। यह विकास नहीं, बल्कि विनाश की प्रक्रिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ‘रोज़गार देने’ की बात करती थी, लेकिन अब लोगों की रोज़ी छीनने में लगी है।
व्यापारियों की आंखों में भय और भविष्य की चिंता साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा कि बनारस का व्यापार सदियों से शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है, और जब उसे चोट पहुंचती है तो यह पूरे शहर का अपमान है। कांग्रेस ने साफ कहा कि वह इस अन्याय और दमन को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी। जिलाधिकारी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि पांच दिनों के भीतर भू-स्वामियों, व्यापारियों और प्रशासन की संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी, ताकि बातचीत से समाधान निकाला जा सके।
कांग्रेस ने प्रशासन के सामने पांच प्रमुख मांगें रखीं — ध्वस्तीकरण और अधिग्रहण पर रोक, प्रभावित व्यापारियों को मुआवजा या वैकल्पिक स्थान, पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया, पुलिस उत्पीड़न की जांच, और व्यापारी हितों के लिए निगरानी समिति का गठन। पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि दमन नहीं रुका तो कांग्रेस व्यापारी समाज के साथ सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेगी। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को पूरी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी ताकि जरूरत पड़ने पर राज्यव्यापी विरोध शुरू किया जा सके।