बनारस न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया गया है। राज्य सरकार ने आईआईटी बीएचयू और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) गोरखपुर में संयुक्त रूप से ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। यूपीनेडा द्वारा अनुमोदित यह परियोजना हाइड्रोजन ऊर्जा से जुड़े शोध, तकनीक विकास और औद्योगिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाई जा रही है।
इस सेंटर का सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य रेलवे मंत्रालय के सहयोग से वाराणसी–गोरखपुर के बीच देश की पहली हाइड्रोजन-फ्यूल संचालित ट्रेन चलाना है। इसके जरिए हाइड्रोजन के भंडारण, परिवहन और उपयोग से जुड़ी दक्षता का व्यापक परीक्षण किया जाएगा। साथ ही यूपीएसआरटीसी भी इसी मार्ग पर ग्रीन हाइड्रोजन बस सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है, जिससे पूर्वी यूपी स्वच्छ और आधुनिक यातायात समाधान का बड़ा केंद्र बन सके। लगभग 50 प्रतिशत अवसंरचना एमएमएमयूटी में तैयार की जाएगी।
आईआईटी बीएचयू इस सेंटर का लीड संस्थान होगा, जो पूरी परियोजना की रणनीति, तकनीकी दिशा और शोध नेतृत्व प्रदान करेगा। सेरामिक इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. प्रीतम सिंह के नेतृत्व में डॉ. जेवी तिर्की, डॉ. अखिलेंद्र प्रताप सिंह और डॉ. आशा गुप्ता की टीम इस मिशन पर काम करेगी। डॉ. प्रीतम सिंह के अनुसार, यूपी में बायोमास की उपलब्धता के आधार पर सेंटर का फोकस बायोमास-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन पर रहेगा, जो पारंपरिक इलेक्ट्रोलाइज़र की तुलना में अधिक किफायती और व्यवहारिक है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में एक विशेष इनक्यूबेशन सेंटर भी बनाया जाएगा, जहां हर वर्ष 10 स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाएगा—यानी पाँच वर्षों में 50 स्टार्टअप को दिशा, मेंटरशिप और टेक्नोलॉजी सपोर्ट मिलेगा। यह सेंटर हब-एंड-स्पोक मॉडल पर कार्य करेगा, जिसमें आईआईटी हब की भूमिका निभाएगा और आसपास के इंजीनियरिंग कॉलेज स्पोक के रूप में विकसित किए जाएंगे। आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने इसे राज्य और देश के ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि संस्थान वैज्ञानिक उत्कृष्टता और नवाचार को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाएगा।