बनारस न्यूज डेस्क: मोथा तूफान की मार से वाराणसी और आसपास के इलाकों में जिंदगी जैसे थम सी गई है। पिछले तीन दिनों से रुक-रुककर हो रही लगातार बारिश ने पूरे क्षेत्र का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। वाराणसी-जौनपुर मार्ग, जो आम दिनों में गाड़ियों और लोगों की चहल-पहल से गुलजार रहता था, शुक्रवार सुबह पूरी तरह सुनसान नजर आया। सड़कों पर न वाहनों की आवाज थी, न लोगों की आवाजाही — बस बारिश की बौछारें और पसरा सन्नाटा।
गुरुवार शाम से शुरू हुई हल्की बारिश शुक्रवार की सुबह तक जारी रही। लगातार बारिश से स्कूल जाने वाले बच्चों और दिहाड़ी मजदूरों को सबसे ज्यादा दिक्कत हुई। कई स्कूलों ने छुट्टी घोषित कर दी, जबकि कुछ बच्चे स्कूल पहुंचने के बाद बंद होने की खबर सुनकर भीगते हुए घर लौट गए। दूसरी ओर, लगातार गिरते पानी से सड़कों पर फिसलन और कीचड़ भर गया, जिससे दोपहिया चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर फिसलने से छोटे हादसे भी होते-होते बचे।
बरसात ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह झकझोर दिया है। स्थानीय किसान गुलाब पटेल, बेचू पटेल, चक्रवर्ती पटेल, मुन्ना पाल और गोविंद चौहान का कहना है कि लगातार बारिश से चना, मटर, आलू, गोभी, धनिया, पालक, करैला, लौकी, भिंडी और टमाटर जैसी सब्जियों की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं। सबसे बड़ा झटका धान की फसल को लगा है — जिन किसानों ने फसल काट ली थी, वह खेतों में भीगकर सड़ गई, जबकि जिनके खेतों में फसल खड़ी थी, वह हवा और पानी से गिरकर नष्ट हो गई।
लगातार बारिश ने सड़कों, फसलों और लोगों की आजीविका — तीनों पर गहरा असर डाला है। ग्रामीणों में अब निराशा और चिंता का माहौल है। किसानों को डर है कि इस बार की बर्बादी से पूरे साल के चावल उत्पादन पर असर पड़ेगा। आसमान से लगातार गिरती बूंदें अब उम्मीदों को भी भिगोती नजर आ रही हैं।