बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी के कबीरचौरा महिला अस्पताल में एक छोटे स्ट्रक्चर को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। खुद को काशीवासी और हिंदूवादी संगठन का सदस्य बताने वाले कुछ लोग अस्पताल पहुंचे और हथौड़ी से दीवार में बने उस निर्माण को तोड़ दिया। आरोप लगाया गया कि यहां गर्भवती महिलाओं को संतान की कामना के लिए चादर और पैसे चढ़ाने के लिए बरगलाया जाता था। साथ ही इसे धर्म परिवर्तन और प्रलोभन का केंद्र बताया गया।
इस पूरे घटनाक्रम का फेसबुक पर लाइव वीडियो बनाया गया, जिसमें हथौड़ी से स्ट्रक्चर तोड़ने और गंगाजल से शुद्धि करने के दृश्य सामने आए। वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। अस्पताल प्रशासन ने तुरंत सफाई देते हुए कहा कि यह किसी धार्मिक स्थल की जगह नहीं थी, बल्कि महज छत की नाली का ड्रेन था।
अस्पताल की चिकित्सा अधिक्षीका ने अपने पत्र में लिखा कि वायरल वीडियो पूरी तरह भ्रामक है और इसे मजार बताकर गलत तरीके से प्रचारित किया गया। उन्होंने संबंधित विभागों और पुलिस से इस तरह की अफवाहें फैलाने वालों पर उचित कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि किसी भी तरह की गलत जानकारी से जनता को गुमराह नहीं होना चाहिए।
उधर, हिंदूवादी संगठन के नेता अतुल कुल ने दावा किया कि यह स्थल धर्म परिवर्तन की साजिश का अड्डा था। उनका आरोप है कि पहले यहां कव्वाली होती थी और शुक्रवार को चादर चढ़ाई जाती थी। हालांकि पुलिस और प्रशासन ने उनके दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। ACP प्रज्ञा पाठक ने कहा कि वायरल वीडियो गलत है और अस्पताल परिसर में कोई मजार नहीं था।