पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स के बाहर हुए भीषण धमाके ने देश को झकझोर दिया है। प्रारम्भिक खबरों के मुताबिक़ इस फिदायीन हमले में 12 लोगों की मौत हुई है और 27 अन्य घायल हैं। सुरक्षा बलों और रेस्क्यू टीमों ने घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया है जबकि खराब हालत वाले कुछ घायलों का इलाज चल रहा है।
घटना के बाद पाकिस्तान सरकार और सेना के वरिष्ठ नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस धमाके को देश के लिए एक स्पष्ट “वेक अप कॉल” करार देते हुए कहा कि फिलहाल पाकिस्तान युद्ध जैसी स्थिति से गुजर रहा है। उनके अनुसार यह हमला केवल एकल घटना नहीं, बल्कि पूरे देश के खिलाफ चल रहे हिंसक अभियान का हिस्सा है। ख्वाजा आसिफ ने कहा, “जो कोई भी यह सोचता है कि हमारी सेना सीमांत क्षेत्रों में यह जंग अकेले लड़ रही है, उसे आज के आत्मघाती हमले को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। यह पूरा पाकिस्तान है जो इस चुनौती का सामना कर रहा है।”
रक्षा मंत्री ने आगे काबुल सरकार पर भी तीखा निशाना साधा और कहा कि यह हमला “काबुल का संदेश” जैसा है। उन्होंने कहा कि अफगान सरकार पाकिस्तान में आतंकवाद रोकने की क्षमता रखती है, लेकिन यदि यह युद्ध काबुल से पाकिस्तान तक आया है तो इसका जवाब पूरी ताकत से दिया जाएगा। ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट किया कि ऐसे माहौल में अफगानिस्तान के साथ कोई सार्थक शांति समझौते की उम्मीद रखना मुश्किल है।
घटना को फिदायीन हमला करार देते हुए पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने बताया कि हमलावर अदालत परिसर के बाहर करीब 12 मिनट तक खड़ा रहा। नकवी के मुताबिक हमलावर पहले कोर्ट के अंदर दाखिल होने की कोशिश करता रहा, पर जब वह अंदर नहीं जा सका तो उसने पुलिस वाहन और सुरक्षा कर्मियों को अपना निशाना बनाया। गृह मंत्री ने कहा कि यह कोई साधारण बम विस्फोट नहीं था और जांच के कई कोणों पर काम चल रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही तथ्य सामने आएंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
घटने के बाद राजधानी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। रेंजर्स, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे राजधानी में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय और सार्वजनिक कार्यक्रमों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही सीमा क्षेत्रों और संवेदनशील संस्थानों के आसपास निगरानी बढ़ाने का भी आदेश जारी किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के फिदायीन हमले केवल मानव क्षति ही नहीं बढ़ाते, बल्कि सामाजिक भय और राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा कर देते हैं। यही वजह है कि सरकार ने सुरक्षा और इंटेलिजेंस सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही है।
हालांकि घटना के वास्तविक दोषियों और उनके लक्ष्य के बारे में आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है, लेकिन दहशतगर्दों के नेटवर्क और उनके मददगारों की गिरफ्तारी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त कार्रवाई तेज कर दी गई है। इस दुखद घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान के सुखद-शांति के प्रयासों और सुरक्षा चुनौतियों के बीच जटिल संतुलन को उजागर कर दिया है।