पाकिस्तान में, खासकर अफगानिस्तान सीमा से सटे खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में, पिछले 20 दिनों में चार नए आतंकी समूहों के गठन ने देश की सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन सभी समूहों के पीछे मुख्य आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का हाथ माना जा रहा है. TTP खुद सीधे हमले करने के बजाय, इन नए 'प्रॉक्सी' समूहों को आगे बढ़ाकर अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है.
बीबीसी उर्दू के मुताबिक, पाकिस्तान में गठित हुए इन चार नए आतंकी संगठनों के नाम हैं: दिफात कुद्स, इस्लामिक अमीरात प्रोटेक्शन फोर्स, अंसार अल-जिहाद और तहरीक-ए-लब्बैक फोर्स.
20 दिनों में 7 जगहों पर हमले, पैटर्न TTP जैसा
इन चारों आतंकी समूहों ने मिलकर पिछले 20 दिनों के भीतर खैबर पख्तूनख्वा के 7 अलग-अलग इलाकों में हमले किए हैं. इन वारदातों में मारे जाने वालों में अधिकांश पाकिस्तान सेना के जवान शामिल हैं.
सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इन सभी चार संगठनों के हमलों का पैटर्न और रणनीति TTP के पैटर्न से हूबहू मिलती है. इतना ही नहीं, TTP अपने मुखपत्र 'मंज़िल' में भी इन नए आतंकी संगठनों का जिक्र कर रहा है, जो इनके बीच गहरे संबंध की पुष्टि करता है.
इन नए समूहों के अचानक उभरने से पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी (ISI) की टेंशन काफी बढ़ गई है, और वे नए सिरे से इन संगठनों के बारे में जानकारी जुटाने में लगे हैं.
नए आतंकी समूहों का परिचय
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दिफात कुद्स (Difaat Quds):
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यह संगठन ईरान की कुद्स फोर्स के पैटर्न पर गठित किया गया है.
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इसने 31 अक्टूबर को टेलीग्राम पर अपना चैनल बनाया.
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संगठन ने बन्नू में 2 हमलों की जिम्मेदारी ली है.
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इनका मुख्य एजेंडा है कि पाकिस्तानी सरकार इजराइल का विरोध नहीं कर रही है, इसलिए सरकार को सबक सिखाना जरूरी है.
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अंसार अल-जिहाद (Ansar al-Jihad):
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इसे TTP का सबसे करीबी प्रॉक्सी माना जा रहा है.
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अब्दुल्ला अंसारी को इसका प्रवक्ता बनाया गया है.
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यह संगठन खैबर क्षेत्र में सक्रिय है और 30 अक्टूबर से अब तक कई जगहों पर हमले की जिम्मेदारी ले चुका है.
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तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान फोर्स (TLP Force):
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हाल ही में गठित इस समूह को पाकिस्तान की एक राजनीतिक पार्टी से जोड़ा जा रहा है, हालांकि संगठन खुद को स्वतंत्र बताता है.
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यह पंजाब प्रांत में सक्रिय है. विश्लेषकों का मानना है कि TTP ने पंजाब में अपना दबदबा और प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने के लिए इस समूह का गठन किया है.
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इस्लामिक अमीरात प्रोटेक्शन फोर्स (IEPF):
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29 अक्टूबर को टेलीग्राम पर इस समूह की पहली उपस्थिति दर्ज की गई थी.
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यह खैबर प्रांत के पेशावर और दक्षिणी वजीरिस्तान में ज्यादा एक्टिव है.
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कहा जा रहा है कि TTP के अनुभवी लड़ाके ही इसे मॉनिटर और निर्देशित कर रहे हैं.
अपने ही पाले हुए आतंकियों से परेशान पाकिस्तान
एक समय आतंकियों को समर्थन और शह देने वाला पाकिस्तान अब उन्हीं आतंकी समूहों से बुरी तरह परेशान है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुद स्वीकार किया है कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद पाकिस्तान असुरक्षित हो गया है. उन्होंने तालिबान सरकार को वर्तमान में पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है.
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार, 2025 के मध्य तक पाकिस्तान में लगभग 800 से अधिक आतंकी हमले हुए हैं, जो देश में सुरक्षा स्थिति की भयावहता को दर्शाते हैं. TTP की यह नई प्रॉक्सी रणनीति पाकिस्तान में आतंकवाद की चुनौती को और जटिल बना रही है.