भारत में रूसी दूतावास के प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने हाल ही में भारत और रूस के मजबूत और गहरे रिश्तों पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि आलोचना का सामना करना इस बात का संकेत है कि आप सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। बाबुश्किन ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के मुद्दे पर भी महत्वपूर्ण बातें कहीं, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों को लेकर एक सकारात्मक संकेत मिला है।
आलोचना और मजबूत रिश्तों का अर्थ
रोमन बाबुश्किन ने स्पष्ट किया कि जब कोई आपको आलोचना करता है, तो इसका मतलब यह होता है कि आप सही राह पर हैं और आपके काम का असर पड़ रहा है। यह बात खासतौर पर तब सही बैठती है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत-रूस के संबंधों को देखा जाए। वैश्विक राजनीतिक तनाव के बीच भी दोनों देशों ने अपने सहयोग को मजबूत बनाए रखा है।
अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ पर बाबुश्किन का बयान
अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इस पर बाबुश्किन ने कहा कि यह मामला अब अधिक स्पष्ट हो गया है। उन्होंने बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अमेरिका में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हाल ही में हुई मुलाकात बहुत सकारात्मक रही। इस बैठक के बाद ऐसी रिपोर्ट्स आईं कि ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला नहीं किया है।
इस बयान से साफ होता है कि भारत और रूस के बीच कूटनीतिक संबंध मजबूत हैं और रूस के लिए भारत एक बहुत खास साझेदार है। बाबुश्किन ने यह भी कहा कि चाहे वैश्विक स्तर पर कोई भी संकट या खतरें आएं, रूस और भारत मिलकर समाधान निकालने में सक्षम हैं और यह साझेदारी कायम रहेगी।
भविष्य की तैयारियां और एससीओ शिखर सम्मेलन
रोमन बाबुश्किन ने यह भी बताया कि जल्द ही चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का शिखर सम्मेलन होने वाला है। इसमें भारत और रूस के नेताओं के मिलने की योजना है, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग और भी गहरा होगा। इस सम्मेलन को लेकर दोनों देशों की उम्मीदें काफी ऊँची हैं।
S-400 मिसाइल प्रणाली की डिलीवरी पर अपडेट
बाबुश्किन ने भारत को सौंपे जाने वाले S-400 मिसाइल सिस्टम के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तय समय के अनुसार भारत को बाकी की मिसाइल प्रणाली जल्द मिल जाएगी। यह रक्षा सहयोग दोनों देशों के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है। S-400 मिसाइल प्रणाली भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
निष्कर्ष
रोमन बाबुश्किन के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि भारत-रूस संबंध आज भी मजबूती से खड़े हैं और दोनों देशों के बीच सहयोग में कोई कमी नहीं आई है। अमेरिकी प्रतिबंधों और वैश्विक दबावों के बावजूद, भारत और रूस अपने द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, आगामी शिखर सम्मेलन और रक्षा सहयोग से यह साझेदारी और भी मजबूत होगी।
बाबुश्किन का यह भी संदेश है कि आलोचना चाहे जितनी भी हो, सही दिशा में काम करते रहने से ही प्रगति संभव है। भारत और रूस दोनों अपने हितों की रक्षा और वैश्विक स्थिरता के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जो आने वाले समय में भी जारी रहेगा।