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पुतिन के भारत दौरे से पाकिस्तान में बेचैनी, सवाल—“हमारे यहाँ क्यों नहीं आते?”

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Posted On:Friday, December 5, 2025

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे ने पाकिस्तान में राजनीतिक और रणनीतिक हलचल तेज कर दी है। जहां भारत इस यात्रा को ऊर्जा, रक्षा और भू-राजनीतिक साझेदारी के बड़े फ्रेमवर्क में देख रहा है, वहीं पाकिस्तान में चर्चा इस बात की है कि पुतिन आखिर कभी इस्लामाबाद क्यों नहीं आते। पाकिस्तानी टीवी डिबेट्स, यूट्यूब टॉक शो और सैन्य विश्लेषण कार्यक्रमों में एक ही सवाल बार-बार उछल रहा है—“पुतिन भारत के साथ हंसते-बोलते हैं, लेकिन पाकिस्तान को नजरअंदाज क्यों करते हैं?”

“पुतिन पाकिस्तान के ऊपर से गुजर जाते हैं, रुकते नहीं”

पाकिस्तानी भू-राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा ने अपने शो में चुटकी लेते हुए कहा—“पुतिन पाकिस्तान के ऊपर से कई बार गुजर चुके हैं, हमने नीचे से सीटियां भी मारीं, मगर वो आते ही नहीं। भारत जाते हैं और मोदी साहब के साथ मुस्कराते भी हैं।”

उनकी यह टिप्पणी सिर्फ मज़ाक नहीं बल्कि यह संकेत है कि रूस ने पाकिस्तान को कूटनीतिक प्राथमिकता सूची से लगभग बाहर कर दिया है। इसी चर्चा में पाकिस्तानी जर्नलिस्ट आरजू काज़मी ने साफ कहा—
“हमें क्या काम है? हम उन्हें क्यों बुलाएं? वो आएंगे तो हम उनसे क्या कहेंगे—फाइटर जेट दे दो, तेल उधार पर दे दो या किस्तों में दे दो?” काज़मी का यह बयान पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर तीखा व्यंग्य था। उनका कहना था कि पुतिन भारत जाते हैं तो कैश पर सौदे होते हैं, जबकि पाकिस्तान में सामान किस्तों, रियायतों और उधार की मांग पर अटक जाता है।

“दुनिया उधार वालों के पास नहीं जाती”

आरजू काज़मी ने आगे कहा कि पाकिस्तान आज भी अपने दौरे पर आने वाले विदेशी नेताओं को—

  • कभी बाढ़

  • कभी कोविड संकट

  • कभी आर्थिक बदहाली
    दिखाता है और मदद मांगता है। उन्होंने तंज में कहा—
    “जब हर आने वाले को हम अपनी ही कथित खराब हालत दिखाते हैं तो अपनी जेब कटवाने कौन आएगा?”

उन्होंने साफ कहा कि जिस दिन पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था स्थिर कर लेगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कैश पर डील करने लायक बन जाएगा, तब विदेशी नेता रुककर सौदे करेंगे। फिलहाल, कोई भी वैश्विक शक्ति यह जोखिम नहीं ले रही कि पाकिस्तान उसे उधार की लिस्ट थमा दे।

रूस की रणनीति: बराबरी वाले साझेदार

काज़मी ने यह भी स्पष्ट किया कि पुतिन सिर्फ बराबर के वैश्विक खिलाड़ियों से संवाद करते हैं।
उनके अनुसार,

  • भारत रूस के लिए ऊर्जा बाजार है

  • तेल लेता है, भुगतान भी करता है

  • अमेरिका की आपत्तियों के बावजूद रूस-भारत व्यापार चलता है

इसके मुकाबले पाकिस्तान की स्थिति ऐसे खरीदार की है जो—
“तेल भी किस्त पर, हथियार भी उधार पर, और जाते वक्त जहाज के टायर भी निकाल ले।”

यह टिप्पणी भले ही हंसी में कही गई लेकिन यह पाकिस्तान की डगमगाती आर्थिक-सैनिक विश्वसनीयता को खुलकर उजागर करती है।

भारत का उभरता प्रभाव और पाकिस्तान की वास्तविकता

पुतिन का भारत दौरा यह दर्शाता है कि नई वैश्विक शक्ति संरचना में भारत सिर्फ बाजार नहीं बल्कि संतुलनकारी सुपर-पिवट बन चुका है।

  • अमेरिका, रूस, यूरोप—तीनों के साथ भारत एक साथ डील करने की स्थिति में है

  • और भुगतान क्षमता उसे प्राथमिकता देती है

इसके विपरीत पाकिस्तान अभी भी अपनी कर्ज-आधारित अर्थव्यवस्था के चलते इंटरनेशनल डिप्लोमेसी में पिछली कतार में खड़ा है।


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