रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश की गई शांति योजना पर अब संकट गहराता जा रहा है। ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को 27 नवंबर तक इस प्रस्ताव को स्वीकार करने की समय-सीमा दी है, लेकिन यूक्रेन और यूरोपीय देशों ने इसे मानने से इनकार कर दिया है। इसी बीच जेनेवा में अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के बीच वार्ता भी बेनतीजा रही, जिसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप खासे नाराज दिखे।
ट्रंप बोले—यूक्रेन एहसान फरामोश
शांति योजना खारिज किए जाने से भड़के राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन को अमेरिका द्वारा किए गए प्रयासों की कोई कद्र नहीं है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि जब यूरोपीय देश रूस से सस्ता तेल ले रहे हैं, तब अमेरिका यूक्रेन को हथियार और सैन्य सामग्री देकर युद्ध में उसका सबसे बड़ा समर्थक बना हुआ है, लेकिन इसके बाद भी यूक्रेन आभार व्यक्त करने के बजाय अपनी जिद पर अड़ा है।
ट्रंप ने यहां तक कहा कि,
“जेलेंस्की यूक्रेन के लिए अमेरिका के योगदान का सम्मान नहीं करता। इस रवैये से अमेरिका-यूक्रेन संबंधों में खटास आ सकती है। पिछली मुलाकात में सब ठीक था, लेकिन अब यूक्रेन के इस व्यवहार ने मुझे निराश किया है।”
ट्रंप: मेरे नेतृत्व में युद्ध शुरू ही नहीं होता
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान देते हुए दावा किया कि यदि फरवरी 2022 में वह सत्ता में होते, तो रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू ही नहीं होता। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति जो बाइडेन की गलत नीतियों ने रूस को हमला करने का मौका दिया। ट्रंप ने कहा कि वह युद्धविराम चाहते हैं और इसी उद्देश्य से उन्होंने शांति योजना तैयार की है। उनकी शर्तों के अनुसार, यदि यूक्रेन को युद्ध रोकना है तो उसे कुछ इलाकों को रूस के नियंत्रण में सौंपना होगा, सेना पर कुछ प्रतिबंध स्वीकार करने होंगे और नाटो में शामिल होने की इच्छा को छोड़ना होगा। ट्रंप ने साफ चेतावनी दी कि अगर जेलेंस्की ने शांति समझौता खारिज किया तो यूक्रेन को अमेरिका का समर्थन भूल जाना चाहिए।
जेनेवा में बेनतीजा वार्ता
बता दें कि रविवार को जेनेवा में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी और यूक्रेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच 28 सूत्रीय शांति योजना पर चर्चा हुई। इस बैठक में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकोफ और रूस के प्रतिनिधि किरिल दिमित्रिएव द्वारा तैयार इस प्रस्ताव पर विचार किया गया। लेकिन विवाद इस बात को लेकर है कि शांति योजना बनाने में न तो यूक्रेन को शामिल किया गया और न ही यूरोपीय संघ को। इस कारण यूरोपीय देश और यूक्रेन दोनों ही इस प्रस्ताव को “रूस की मांगों को पूरा करने वाला” बता रहे हैं। यूक्रेन का आरोप है कि यह योजना रूस को खुश करने की कोशिश है और उसमें यूक्रेन की संप्रभुता से जुड़े मुद्दों को दरकिनार किया गया है। इसी कारण राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया।