आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) ने देश में रोजगार की स्थिति को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन महीनों में देश के शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर बढ़ी है. हालांकि, पिछले एक साल की तुलना में इसमें थोड़ी गिरावट आई है। आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में बेरोजगारी दर 6.5 फीसदी थी. जबकि चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह बढ़कर 6.7 फीसदी हो गई. इस तिमाही में इसमें 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस सर्वे में 15 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को शामिल किया गया है.
एक साल में सुधार हुआ
आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में शहरी क्षेत्रों में रोजगार में सुधार हुआ है। वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में देश में बेरोजगारी दर 6.8 फीसदी रही. जबकि वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह गिरकर महज 6.7 फीसदी रह गई. इस प्रकार, पिछले एक साल में बेरोजगारी दर में 0.1 प्रतिशत की मामूली कमी आई है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है
रोजगार पाने के मामले में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है। महिलाओं में बेरोजगारी दर एक साल पहले (जनवरी-मार्च 2023) 9.2 फीसदी थी जो घटकर 8.5 फीसदी (जनवरी-मार्च 2024) हो गई है. इस अवधि के दौरान पुरुषों में बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई। जनवरी-मार्च 2023 में पुरुष बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत थी, जो एक साल बाद जनवरी-मार्च 2024 में बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई।
श्रम बल की भागीदारी बढ़ी
पिछले एक साल में देश में श्रम बल भागीदारी दर में भी वृद्धि हुई है। जनवरी-मार्च 2023 में यह 48.5 फीसदी थी. अगले साल जनवरी-मार्च 2024 में यह बढ़कर 50.2 फीसदी हो गई. 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में यह भागीदारी बढ़ी है। इसमें पुरुषों की भागीदारी 73.5 फीसदी से बढ़कर 74.4 फीसदी हो गई है. महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी. महिलाओं की यह भागीदारी 22.7 प्रतिशत से बढ़कर 25.6 प्रतिशत हो गयी है।
जानिए- क्या है श्रम शक्ति
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) किसी देश की आबादी का वह हिस्सा है जो वस्तुओं और सेवाओं (श्रम) के उत्पादन के लिए काम करता है और बदले में पैसा यानी कमाई प्राप्त करता है। पीएलएफएस को वर्ष 2017 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा लॉन्च किया गया था।