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भूकंप के झटकों से हिली लद्दाख की धरती, झिंजियांग में रही 4.4 तीव्रता, सहमे लोग

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Posted On:Monday, November 17, 2025

सोमवार की सुबह लद्दाख के लेह क्षेत्र और पड़ोसी देश चीन के झिंजियांग प्रांत में भूकंप के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Centre for Seismology - NCS) ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि लेह में भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.7 मापी गई, जबकि चीन के झिंजियांग में यह तीव्रता 4.4 दर्ज की गई। गनीमत यह रही कि इन झटकों से किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं है।

लेह में लगातार दूसरे दिन भूकंप

एनसीएस के आंकड़ों के अनुसार, लद्दाख के लेह में रविवार को भी 3.7 तीव्रता का भूकंप आया था, और सोमवार को भी इसी तीव्रता का झटका महसूस किया गया। NCS ने जानकारी दी कि सोमवार को आया भूकंप जमीन की सतह से 10 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था। इस घटना ने एक बार फिर इस क्षेत्र की भौगोलिक संवेदनशीलता को उजागर किया है। इससे पहले, लेह में 21 अक्टूबर 2025 को भी दोपहर के समय 3.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र जमीन की सतह से 90 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार, यह इलाका भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं के पास स्थित होने के कारण भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। इस तरह के लगातार हल्के झटके भूवैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं, क्योंकि वे सतह के नीचे की ऊर्जा के संचयन और रिलीज का संकेत देते हैं।

चीन के झिंजियांग में उथला भूकंप

सोमवार को लद्दाख से सटे चीन के झिंजियांग प्रांत में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। NCS के मुताबिक, यहां भूकंप की तीव्रता लेह से अधिक, यानी 4.4 रही। यह भूकंप तड़के 1 बजकर 26 मिनट पर आया। सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसकी गहराई रही, जो सिर्फ 10 किलोमीटर थी। भूवैज्ञानिकों के दृष्टिकोण से, कम गहराई पर आने वाले भूकंप (उथले भूकंप) अक्सर ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि उनकी ऊर्जा सतह तक कम क्षीण होती है, जिससे सतही क्षेत्रों में नुकसान की संभावना बढ़ जाती है।

भूकंप की संवेदनशीलता

झिंजियांग क्षेत्र भी भूकंपीय दृष्टि से बेहद सक्रिय है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 20वीं सदी की शुरुआत से अब तक चीन में 6 या उससे अधिक तीव्रता वाले 800 से ज्यादा भूकंप दर्ज किए जा चुके हैं। यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि देश का एक बड़ा हिस्सा, खासकर पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र, उच्च भूकंपीय जोखिम वाले क्षेत्रों में आता है।

लेह और झिंजियांग में आए ये हल्के झटके इस बात की याद दिलाते हैं कि हिमालयी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाके निरंतर भूकंपीय गतिविधियों के अधीन हैं। ऐसे में, स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के लिए भूकंप रोधी निर्माण, तैयारी और जागरूकता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। वर्तमान में, दोनों क्षेत्रों में किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र इन गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखे हुए है।


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