लुधियाना। आतंकवाद के खिलाफ देशव्यापी अभियान में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। पंजाब के लुधियाना में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ (एनकाउंटर) में दो आतंकवादियों को गोली लगी है, जिनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। यह मुठभेड़ दिल्ली-अमृतसर नेशनल हाईवे पर स्थित लाडोवाल टोल प्लाजा के पास हुई, जिसके बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह कार्रवाई दिल्ली में हुए हालिया विस्फोट की घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों द्वारा देश में छिपे हुए आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान का हिस्सा है। लुधियाना पुलिस को एक खुफिया इनपुट मिला था, जिसके आधार पर गुरुवार को आतंकवादियों की धर-पकड़ के लिए एक व्यापक ऑपरेशन शुरू किया गया।
बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) कनेक्शन
लुधियाना पुलिस कमिश्नर स्वप्न शर्मा ने इस ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस ने पहले भी एक टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, जिसमें तीन आतंकवादियों को पकड़ा गया था। कमिश्नर ने पुष्टि की कि मुठभेड़ में घायल हुए दोनों आतंकवादियों का संबंध कुख्यात आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) से था। उन्होंने बताया कि ये आतंकवादी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के इशारे पर काम कर रहे थे। स्वप्न शर्मा ने आगे बताया कि सटीक सूचना के आधार पर लुधियाना में घेराबंदी की गई, जिसके बाद हुई मुठभेड़ में दोनों संदिग्ध आतंकवादी घायल हो गए।
छावनी में तब्दील हुआ इलाका, हाई अलर्ट जारी
लुधियाना में हुए इस एनकाउंटर के बाद लाडोवाल टोल प्लाजा और आसपास के इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। मुठभेड़ स्थल एक तरह से छावनी में तब्दील हो गया है, और पुलिस के आला अधिकारी लगातार जांच में जुटे हुए हैं। प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि ये आतंकवादी विदेशी हैंडलर्स, विशेषकर पाकिस्तानी नेटवर्क से जुड़े हुए थे। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि वे जल्द ही पंजाब या देश के किसी अन्य हिस्से में किसी बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने अलर्ट मोड ऑन कर दिया है और शहर के अलग-अलग संवेदनशील इलाकों में चेकिंग अभियान (सघन तलाशी) तेज कर दिया गया है।
बीकेआई: इतिहास और खतरा
इस घटना से एक बार फिर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) का नाम चर्चा में आ गया है। यह चरमपंथी संगठन 1978 में बना था और इसका मुख्य उद्देश्य खालिस्तान की मांग को लेकर सक्रिय रहना है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने इसे आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया हुआ है। नब्बे के दशक में जब पंजाब में चरमपंथ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई थी, तब कई गुट खत्म हो गए, लेकिन बीकेआई जैसे कुछ समूह सक्रिय रह गए। साउथ एशिया टैररिज्म पोर्टल के अनुसार, बीकेआई आज भी दक्षिण एशिया के सबसे संगठित और खतरनाक चरमपंथी गुटों में गिना जाता है। यह सफल ऑपरेशन सुरक्षा एजेंसियों की देश में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।