बनारस न्यूज डेस्क: देश में रियल एस्टेट का ट्रेंड अब तेज़ी से बदल रहा है, और हम देख रहे हैं कि लोग पहले की तरह सिर्फ दिल्ली-एनसीआर या मुंबई जैसे बड़े शहरों में ही प्रॉपर्टी खरीदने पर फोकस नहीं कर रहे। अब धार्मिक और तीर्थ शहर नए हॉटस्पॉट बन गए हैं। अयोध्या, वृंदावन और वाराणसी जैसे शहर अब सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं रहे, बल्कि तेजी से गोल्डस्पॉट में बदलते दिख रहे हैं। कई जगहों पर तो चार साल में जमीन के रेट 20,000 रुपये से 1 करोड़ रुपये तक पहुंच चुके हैं, जो इस पूरे बदलते माहौल को साफ दिखाता है।
हम जब इसकी वजहें देखते हैं, तो समझ आता है कि यहां सिर्फ भावनाएं नहीं, बल्कि बड़े विकास प्रोजेक्ट, बेहतर कनेक्टिविटी और बढ़ते आर्थिक अवसर भी एक बड़ा कारण हैं। अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज, वृंदावन और हरिद्वार में प्रॉपर्टी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं। सालभर लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, बड़े धार्मिक कॉरिडोर तैयार हो रहे हैं, और लोग शांत माहौल की वजह से दूसरा घर या रिटायरमेंट होम लेने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
वृंदावन तो आज देश का सबसे महंगा धार्मिक रियल एस्टेट बाजार बन चुका है। रुक्मिणी विहार जैसे इलाकों में जमीन 20,000 रुपये (100 गज) से सीधी 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता और बांके बिहारी कॉरिडोर से शहर की डिमांड और बढ़ गई है। इसी तरह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद जमीन की कीमतों में 50–100% का उछाल देखा गया है। यहां थीम-आधारित टाउनशिप और नई कॉलोनियों की तैयारी भी जारी है, जो निवेशकों को और आकर्षित कर रही है।
प्रयागराज का नैनी क्षेत्र तेजी से इंडस्ट्रियल और एजुकेशनल हब बन रहा है, जहां बड़े प्रोजेक्ट बाजार को लो-राइज से हाई-राइज की ओर ले जा रहे हैं। देहरादून में सहस्रधारा रोड, राजपुर रोड और तपकेश्वर महादेव के पास लग्ज़री होम्स की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। वहीं वाराणसी में धार्मिक टूरिज्म, बेहतर सड़कें और तेज कनेक्टिविटी घर और दुकानों की मांग को लगातार ऊपर ले जा रही हैं, जिससे शहर निवेश और भक्ति दोनों का मिलाजुला केंद्र बन गया है।