बनारस न्यूज डेस्क: ज्योतिषशास्त्र में चंद्रग्रहण का खास महत्व माना जाता है और 7 सितंबर (रविवार) को साल का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण लगने वाला है। इस बार भारत में भी यह दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। इसका असर सीधा धर्मनगरी काशी पर पड़ने जा रहा है। मंदिरों से लेकर गंगा आरती तक कई परंपराओं में बदलाव किए गए हैं।
सबसे बड़ा बदलाव विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती के समय में होगा। आमतौर पर शाम को होने वाली गंगा आरती इस बार रविवार को दोपहर 12 बजे घाटों पर की जाएगी। सूतक शुरू होने से पहले ही यह पूरा अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि पिछले 34 सालों में सिर्फ पांचवीं बार ऐसा मौका है जब गंगा आरती दोपहर में देखने को मिलेगी।
काशी के मंदिरों में भी विशेष व्यवस्था की गई है। संकट मोचन, दुर्गाकुंड, कालभैरव, बटुक भैरव, मानस मंदिर, त्रिदेव मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर सहित अधिकांश मंदिर दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच बंद हो जाएंगे। लेकिन बाबा विश्वनाथ मंदिर की परंपरा अलग है। मान्यता है कि उन पर सूतक का प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए भक्त उन्हें ग्रहण काल में भी दर्शन कर सकेंगे। हालांकि, रविवार को ग्रहण से कुछ घंटे पहले कपाट बंद कर दिए जाएंगे और अगले दिन मंगला आरती से पूजा-पाठ सामान्य रूप से शुरू हो जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार, ग्रहण काल रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा। इसका मध्य 11 बजकर 41 मिनट पर रहेगा और मोक्ष 1 बजकर 27 मिनट पर होगा। सूतक की शुरुआत ग्रहण के स्पर्श से नौ घंटे पहले हो जाएगी। इस दौरान भक्तों को पूजा-पाठ, भोजन और मांगलिक कार्यों से परहेज करने की सलाह दी जाती है।