‘निशानची’ – अनुराग कश्यप की स्टाइल में बुनी गई एक देसी थ्रिलर
आप अनुराग कश्यप, गैंगस्टर ड्रामा या छोटे शहरों की जमीनी कहानियों के फैन हैं, तो ये फिल्म आपके लिए हैं!
डायरेक्टर - अनुराग कश्यप
कास्ट - ऐश्वर्य ठाकरे, वेदिका पिंटो, कुमुद मिश्रा, मोनिका पंवार, विनीत कुमार सिंह, जीशान अय्यूब और गिरीश शर्मा
लेखक - अनुराग कश्यप, रंजन चंदेल और प्रसून मिश्रा
अवधि - 177 मिनटस
अगर देसी फ्लेवर, लोकल भाषा, मिट्टी की खुशबू और सिनेमैटिक प्रयोगों से सजी कहानियां आपका ध्यान खींचती हैं, तो अनुराग कश्यप की‘निशानची’ आपके लिए है। छोटे शहरों की गलियों से निकली यह कहानी उतनी ही अनोखी है, जितनी इसकी फिल्ममेकिंग। भले ही इसमें कोई बड़ास्टार न हो, लेकिन जब आप फिल्म देखते हैं, तो हर किरदार आपको बांध लेता है और अंत तक रोके रखता है।
फिल्म की कहानी जुड़वां भाइयों बबलू और डबलू (ऐश्वर्य ठाकरे) के इर्द-गिर्द घूमती है। एक बैंक डकैती के बाद बबलू पकड़ा जाता है और डबलूउसके घरवालों के साथ छिपता है। बबलू की प्रेमिका रिंकू (वेदिका पिंटो) को लेकर अम्बिका प्रसाद (कुमुद मिश्रा) के इरादे ठीक नहीं हैं। वहीं, अतीतमें मां (मोनिका पंवार) और पिता (विनीत कुमार सिंह) की कहानी भी धीरे-धीरे खुलती है।
फिल्म एक नहीं, बल्कि कई कहानियों को फ्लैशबैक और वर्तमान में चलाकर एक साथ जोड़ती है। हर किरदार की पर्सनल बैकस्टोरी है, जिससे फिल्मकी गहराई और जटिलता दोनों बढ़ती हैं।
डबल रोल में ऐश्वर्य ठाकरे ने बबलू और डबलू के रूप में जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है। उनके अभिनय में देसीपन, मासूमियत और आक्रामकता काबेहतरीन संतुलन दिखता है। यह उनकी पहली फिल्म है, लेकिन आत्मविश्वास और प्रस्तुति किसी अनुभवी कलाकार जैसी है।
वेदिका पिंटो का किरदार मजेदार है — कभी मासूम तो कभी समझदार और मुखर। मोनिका पंवार ने मां के रूप में फ्लैशबैक में अच्छा अभिनय कियाहै, हालांकि उनका युवा लुक थोड़ा मिसफिट लगता है। विनीत कुमार सिंह की मौजूदगी सीमित है लेकिन असरदार है। कुमुद मिश्रा और जीशान अय्यूबहमेशा की तरह भरोसेमंद और प्रभावशाली हैं।
फिल्म में अनुराग कश्यप की स्टाइल साफ नजर आती है — अजीबो-गरीब ऐंगल्स, लोकल लोकेशन, बिना चमक-धमक के यथार्थवादी प्रस्तुति औरम्यूजिक में देसी-विदेशी मिक्स। पियूष मिश्रा का गाना ‘क्या है.. क्या है..’ फिल्म के टोन को पर्फेक्ट्ली कैप्चर करता है। हालांकि, कुछ गाने फिल्म कीरफ्तार को धीमा करते हैं और अनावश्यक लगते हैं। फिल्म का एडिटिंग थोड़ा कसावट मांगता है। कुछ सब-प्लॉट्स कहानी से भटकते हैं, लेकिन समयरहते ट्रैक पर लौट आते हैं। बीयर बार में शूट किया गया वन-टेक एक्शन सीक्वेंस तकनीकी रूप से शानदार है और आंखों को ठहराव देता है।
‘निशानची’ अनुराग कश्यप की अब तक की सबसे साफ-सुथरी लेकिन ठेठ ‘अनुराग स्टाइल’ फिल्म है। यह फिल्म न तो सभी के लिए है और न ही हरमूड के लिए। अगर आप गानों से जल्दी बोर हो जाते हैं या स्लो पेस कहानियों के शौकीन नहीं हैं, तो यह आपके लिए कठिन हो सकती है। लेकिनअगर आप रॉ सिनेमा और layered नैरेटिव पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपको अंत तक बांधे रखेगी — और हां, आखिरी सीन जरूर चौंकाता है।
आप अनुराग कश्यप, गैंगस्टर ड्रामा या छोटे शहरों की जमीनी कहानियों के फैन हैं, तो ये फिल्म आपके लिए हैं!