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एमपी में वाइल्डलाइफ रेस्क्यू सेंटर और संरक्षित वन क्षेत्र विस्तार की बड़ी तैयारी, मुख्यमंत्री ने वन विभाग को दिए निर्देश, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Friday, June 20, 2025

मुंबई, 20 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य में वन्यजीव संरक्षण और वन विभाग के बुनियादी ढांचे को सशक्त करने की दिशा में अहम फैसले लिए हैं। उन्होंने निर्देश दिया है कि वन विभाग की एक टीम गुजरात के प्रसिद्ध वनतारा रेस्क्यू सेंटर भेजी जाए ताकि वहां की व्यवस्थाओं का अध्ययन कर मध्यप्रदेश में भी उसी तर्ज पर एक बड़े रेस्क्यू सेंटर की संभावनाओं पर रिपोर्ट तैयार की जा सके। मुख्यमंत्री के इन निर्देशों के बाद उज्जैन और जबलपुर में जू और रेस्क्यू सेंटर की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और इसके लिए डीपीआर दिल्ली भेजी जा चुकी है।

मुख्यमंत्री ने वन सुरक्षा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने की घोषणा भी की है। इसके लिए वन विभाग को प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने को कहा गया है। साथ ही नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात वनकर्मियों को पौष्टिक आहार भत्ता और विशेष भत्ता देकर सम्मानित करने की योजना भी तैयार की गई है। राज्य में वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया भी तेज की गई है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि वन ग्रामों में सर्वे कर उन पात्र व्यक्तियों को भी पट्टे दिए जाएं जो अब तक वंचित रह गए हैं। बैठक के दौरान यह जानकारी भी दी गई कि प्रदेश में अब तक 792 वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदला जा चुका है और शेष 66 ग्रामों में कार्यवाही जारी है। बैठक में बताया गया कि देश के टॉप पांच टाइगर रिजर्व में से तीन मध्यप्रदेश के हैं और बीते वित्त वर्ष में राज्य के टाइगर रिजर्वों में 80 हजार से अधिक पर्यटक पहुंचे। राज्य में वर्तमान में 9 टाइगर रिजर्व संचालित हैं और सागर जिले में 258.64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में डॉ. भीमराव अंबेडकर अभयारण्य की स्थापना की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। वर्ष 2024-25 में वन विभाग द्वारा 5.67 करोड़ से अधिक पौधे रोपे जा चुके हैं। साथ ही राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत 7360 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया गया है। 4.31 लाख हेक्टेयर बिगड़े हुए वनों को अच्छे वनों में बदलने का काम संयुक्त वन प्रबंधन पद्धति से किया गया है।

वन सुरक्षा और आग प्रबंधन को लेकर भी अहम सुधार किए गए हैं। अब वन क्षेत्र में आग लगने पर वन विभाग की टीम तीन घंटे के भीतर मौके पर पहुंच रही है, जबकि पहले यह समय आठ घंटे था। आग की सूचना देने के लिए 1.05 लाख से अधिक लोगों को एफएसआई पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है। प्रदेश में अब जलीय जीवन के संरक्षण पर भी फोकस किया जा रहा है। नर्मदा में महाशीर मछली और चंबल में कछुए, मगर और घड़ियाल के प्रजनन केंद्र स्थापित करने की योजना तैयार की गई है। साथ ही ओंकारेश्वर, ताप्ती और सोनेवानी में कंजर्वेशन रिजर्व स्थापित किए जा रहे हैं। वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में इसी वर्ष चीता पुनर्स्थापना की तैयारी की जा रही है। वन विभाग द्वारा प्रस्तावित 160 किलोमीटर संरक्षित क्षेत्र में फेंसिंग कराने की योजना पर भी काम चल रहा है। इसके साथ ही पांच स्थलों—पातालकोट, नरो हिल्स, अमरकंटक, सिरपुर झील और वाल्मी परिसर भोपाल को जैवविविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है।


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