मुंबई, 18 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान में लगातार बढ़ती ठेकेदारों की समस्याओं को लेकर संयुक्त ठेकेदार महासंघ की संघर्ष समिति ने सरकार और विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए जोधपुर में पीडब्ल्यूडी कार्यालय के बाहर धरना दिया। समिति ने चेतावनी दी है कि अगर 30 दिनों के भीतर उनकी 14 सूत्री मांगों पर अमल नहीं हुआ तो वे राज्यभर में आंदोलन तेज करेंगे। धरने में शामिल ठेकेदारों ने कहा कि उन्हें लंबे समय से बकाया भुगतान नहीं मिल रहा जिससे वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि कई विभागों में भुगतान में 30 से 90 दिनों तक की देरी होती है। बीएस राव ने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारी फाइलों को जानबूझकर रोकते हैं जिससे समय पर भुगतान नहीं हो पाता। नरेंद्र सोलंकी ने कहा कि अधिकारियों की मनमानी और पारदर्शिता की कमी के चलते ठेकेदारों को बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कई बार जीएसटी की राशि का भुगतान अलग से नहीं किया जाता, जिससे ठेकेदारों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
मीडिया प्रभारी सुनील गर्ग ने बताया कि सुरक्षा राशि वर्षों तक अटकी रहती है और बिना कारण के रोकी जाती है। टेंडरों में समय विस्तार की मंजूरी उच्चाधिकारियों के स्तर पर लटकी रहती है जिससे कार्य प्रभावित होता है। इसके अलावा SOP लागू होने के बावजूद सभी विभागों में समान नियमों की पालना नहीं हो रही, जिससे ठेकेदारों के साथ भेदभाव हो रहा है। G-Schedule के तहत पहले से किए गए भुगतान में GST दरों में बदलाव के चलते भी ठेकेदारों को नुकसान उठाना पड़ा है। साथ ही, बिना उचित कारण अतिरिक्त राशि की वसूली भी की जा रही है। संघर्ष समिति ने साफ कहा है कि अब केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा। यदि सरकार और विभागों ने ठेकेदारों की समस्याओं का समाधान नहीं किया तो सभी ठेकेदार सामूहिक कार्य बहिष्कार करेंगे। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह समय पर भुगतान सुनिश्चित करे, नियमों को पारदर्शी बनाए और ठेकेदारों के अधिकारों की रक्षा करे।