मुंबई, 27 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने अचानक पहले से बनी हुई वोटर लिस्ट को साइड में रख दिया है और अब एक नई लिस्ट बनाने की घोषणा की है। तेजस्वी ने इस फैसले की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए पूछा कि जब चुनाव बेहद करीब हैं, तब मतदाता सूची को क्यों बदला जा रहा है। तेजस्वी ने दावा किया कि इस प्रक्रिया के पीछे सरकार की मंशा है कि चुनाव से पहले मतदाताओं की छंटनी कर सत्ता पक्ष को लाभ पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि इतने कम समय में बिहार की पूरी नई वोटर लिस्ट बनाना संभव नहीं है। पिछली बार जब विशेष मतदाता जांच हुई थी तो इसमें दो साल लग गए थे, जबकि इस बार आयोग इसे मात्र एक महीने में पूरा करना चाहता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि 90 प्रतिशत बूथ लेवल ऑफिसर्स को अभी तक मतदाता सूची की कॉपी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। तेजस्वी ने यह भी कहा कि सरकार सूची से नाम काटेगी और फिर ऐसे लोगों का राशन और पेंशन तक बंद कर देगी। साथ ही उन्होंने पूछा कि गरीब लोग आयोग द्वारा मांगे जा रहे दस्तावेज कहां से लाएंगे, जब उनका आधार और मनरेगा कार्ड भी मान्य नहीं किया जा रहा। तेजस्वी ने संविधान को लेकर दिए गए एक आरएसएस नेता के हालिया बयान का भी ज़िक्र किया और पूछा कि चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में बदलाव का क्या औचित्य है। उन्होंने दावा किया कि बिहार के कुल 8 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 4 करोड़ 76 लाख लोगों को अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी। उन्हें तीन समूहों में बांटा गया है—18 से 20 वर्ष के युवाओं को अपने माता-पिता की नागरिकता सिद्ध करनी होगी, 20 से 38 वर्ष के लोगों को भी यही करना होगा, और तीसरा समूह 39 से 40 वर्ष के लोगों का है, जिन्हें स्वयं की नागरिकता का प्रमाण देना होगा।
तेजस्वी ने बताया कि चुनाव आयोग के जिन 11 दस्तावेजों को पहचान के लिए मान्य बताया गया है, उनमें से तीन—जन्म प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र और मैट्रिक की मार्कशीट—सबसे आम हैं। लेकिन 40 से 60 वर्ष की आयु के लोगों में सिर्फ 13 प्रतिशत हाई स्कूल पास हैं। जाति प्रमाण पत्र को लेकर उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग के 20 प्रतिशत और अति पिछड़े वर्ग के 25 प्रतिशत लोगों के पास ही यह प्रमाण पत्र है, जबकि सामान्य वर्ग के केवल 5 प्रतिशत लोग ही इसके धारक हैं। तेजस्वी ने कहा कि करीब 3 करोड़ लोग बिहार से पलायन कर चुके हैं, अब उनका वोटर कार्ड कैसे बनेगा यह कोई नहीं बता रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोगों के वोट का अधिकार छीन रही है और अगर इसमें सचमुच सुधार की नीयत होती तो लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद यह प्रक्रिया शुरू की जाती, न कि उससे ठीक पहले।