बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी को यूं तो काशी, बनारस और विश्वनाथ की नगरी जैसे कई नामों से जाना जाता है, लेकिन इसकी असली पहचान गंगा और उसके घाट हैं। दुनिया भर से लोग यहां घाटों की खूबसूरती देखने आते हैं। गंगा की आरती हर किसी को आकर्षित करती है। शहर के कई घाटों पर रोजाना भव्य आरती होती है, लेकिन अब इसमें एक और नाम जुड़ गया है—नमो घाट। यहां बुधवार, 17 सितंबर से गंगा आरती की शुरुआत हुई।
इस खास दिन को और भी यादगार बना दिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिवस ने। जैसे ही सूरज ढलने लगा, नमो घाट पर मंत्रोच्चार गूंजने लगे और दीपों की लौ ने वातावरण को और पावन बना दिया। इसी पवित्र माहौल में पूर्व मंत्री और विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर गंगा आरती की शुरुआत की। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु वहां मौजूद थे।
नमो घाट, जो वाराणसी के उत्तरी छोर पर स्थित है, शहर के सबसे खूबसूरत घाटों में से एक माना जाता है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है। दो चरणों में बने इस घाट पर रोजाना करीब बीस हजार लोग आते हैं। यहां की सबसे खास बात है सूर्य को समर्पित हाथ की भव्य आकृतियां, जो इसे अन्य घाटों से अलग पहचान देती हैं।
लंबे समय से नमो घाट पर गंगा आरती शुरू करने की मांग उठ रही थी। आखिरकार, प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर यह मांग पूरी हो गई। अब नमो घाट भी बनारस की भव्य और आध्यात्मिक गंगा आरतियों में शामिल हो गया है।