हाल ही में इजरायल ने यमन की राजधानी सना में बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए हैं, जिनका लक्ष्य हूती विद्रोहियों के प्रमुख सैन्य और ऊर्जा केंद्र थे। हूती समूह, जो यमन में आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त है और ईरान के समर्थन में काम करता है, सना शहर में अपने प्रभावी नियंत्रण में है। इजरायल की इस सैन्य कार्रवाई का मकसद हूतियों की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना और उनके द्वारा इजरायल पर हो रहे हमलों का जवाब देना बताया जा रहा है।
हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया
हूती मीडिया के मुताबिक, इजरायल ने सना में एक एनर्जी प्लांट और गैस स्टेशन को निशाना बनाते हुए हमले किए। स्थानीय लोगों ने राष्ट्रपति भवन के आसपास जोरदार विस्फोटों की आवाज सुनी, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। ये हमले विशेष तौर पर हूती विद्रोहियों के सैन्य ढांचे को नुकसान पहुंचाने के लिए किए गए थे।
इजरायल रक्षा बलों (IDF) ने भी इस हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने हूती आतंकवादी शासन के सैन्य बुनियादी ढांचे पर हमला किया है। इस हमले में राष्ट्रपति भवन के पास स्थित एक सैन्य स्थल, हिजाज और असर एनर्जी प्लांट के साथ-साथ ईंधन भंडारण स्थलों को भी निशाना बनाया गया है।
IDF का बयान और जवाबी कार्रवाई
इजरायली सेना ने बयान जारी कर कहा कि ये सभी साइट्स हूती आतंकवादियों द्वारा अपनी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की जा रही थीं। IDF ने स्पष्ट किया कि यह हमला हूतियों द्वारा इजरायल पर हाल ही में किए गए मिसाइल और यूएवी (ड्रोन) हमलों का जवाब है।
हूती संगठन ईरान के निर्देशन में कार्यरत है, जो उन्हें वित्तीय और सैन्य सहायता भी प्रदान करता है। इजरायल ने बार-बार ईरान और उसके समर्थित समूहों को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया है और इस हमले को उसी कड़ी में एक अहम कदम माना जा रहा है।
क्लस्टर बम और लाल सागर में भी हमले
हाल के वर्षों में हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर कई बार मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं। इसके अलावा, क्लस्टर बम का भी इस्तेमाल किया गया, जो नागरिकों के लिए बेहद खतरनाक होता है।
सिर्फ इजरायल के भीतर ही नहीं, बल्कि लाल सागर में भी हूतियों ने जहाजों को निशाना बनाया है। यह इलाका इजरायल के मुख्य व्यापार मार्गों में से एक है, जहां से लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 87 लाख करोड़ रुपये) का माल गुजरता है। लाल सागर में हुई इस गतिविधि से इजरायल के व्यापारिक हितों को भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
हूतियों का तर्क और क्षेत्रीय तनाव
हूती विद्रोही अपने हमलों को गाजा युद्ध के खिलाफ फिलिस्तीनियों के समर्थन में कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और इजरायल इसे आतंकवादी गतिविधि मानते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने मध्य पूर्व और यमन क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है। ईरान की भूमिका के कारण यह संघर्ष केवल यमन और इजरायल तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के बीच भी तनाव को बढ़ावा दे रहा है।
निष्कर्ष
इजरायल का यमन में हूती विद्रोहियों पर हमला एक स्पष्ट संकेत है कि वह अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार है। हूती विद्रोही न केवल यमन में बल्कि इजरायल और समुद्री व्यापार मार्गों पर भी बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं।
इस स्थिति में क्षेत्रीय शांति की उम्मीदें कमजोर होती जा रही हैं, और आगे भी ऐसे हमलों के बढ़ने की संभावना बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस विवाद को सुलझाने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि मध्य पूर्व में स्थिरता कायम की जा सके।