बनारस न्यूज डेस्क: मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के बाद जिस नेटवर्क की परतें खुलनी शुरू हुई थीं, अब वह उत्तर प्रदेश तक फैल चुका है। यूपी पुलिस की छापेमारी, गिरफ्तारियों और जांच के बाद यह साफ हो गया है कि इस पूरे काले धंधे का मास्टरमाइंड कोई छोटा-मोटा सप्लायर नहीं, बल्कि वाराणसी का दवा व्यापारी शुभम जायसवाल है। पुलिस का कहना है कि उसने फर्जी फर्मों के सहारे ऐसा जाल बनाया था, जिसकी डोर झारखंड, बंगाल, नेपाल और बांग्लादेश तक फैली हुई थी।
अब खुलासे में पता चल रहा है कि कोडीन मिक्स कफ सिरप की इस अवैध सप्लाई की जड़ें गाजियाबाद और वाराणसी में बने उसके बड़े गोदामों तक जाती थीं। सोनभद्र में पकड़ी गई लगभग 12 हजार बोतलों की खेप ने पूरे सिंडिकेट का रास्ता दिखा दिया। शुरुआती पूछताछ में यह भी सामने आया कि शुभम जायसवाल के नेटवर्क तक माल पहुंचाने का काम आसिफ और वसीम जैसे लोग करते थे, जो अब फरार हैं। पुलिस की एंटी-नारकोटिक्स विंग भी लगातार इस गिरोह की कड़ियों पर काम कर रही है।
जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, खुलासा हुआ कि शुभम और उसके पिता भोला प्रसाद ने कई फर्जी फर्में खड़ी कर रखी थीं—कुछ तो सिर्फ कागजों पर ही मौजूद थीं। इन्हीं फर्जी कंपनियों के जरिए बड़े पैमाने पर कोडीन सिरप की बिलिंग, स्टोरेज और सप्लाई होती थी। पुलिस को अब तक वाराणसी, गाजियाबाद, जौनपुर और गोरखपुर सहित कई जिलों में करोड़ों का स्टॉक और फर्जी दस्तावेज मिले हैं। ड्रग कंट्रोल विभाग ने भी 28 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कर, नेटवर्क की जटिलता को उजागर किया है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शुभम कुछ साल पहले तक एक साधारण मेडिकल सप्लायर था। कोरोना के दौरान नशे वाली दवाओं की बढ़ती मांग देखकर उसने इस रास्ते पर कदम बढ़ाया और पूर्वांचल के एक बड़े बाहुबली के संरक्षण में पूरे सिंडिकेट को फैला दिया। अब पुलिस का दावा है कि शुभम और उसका करीबी आसिफ दुबई भाग चुके हैं, लेकिन उनकी गिरफ्तारी के लिए टीमें लगातार जुटी हुई हैं। आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़े कई बड़े नाम सामने आने की उम्मीद है।