ताजा खबर
Paris Olympics opening ceremony: उद्घाटन समारोह में 78 सदस्यीय भारतीय दल लेगा हिस्सा, सिंधू-शरत होंग...   ||    India Medal Contenders Paris Olympics 2024: पेर‍िस में टूटेगा टोक्यो का महारिकॉर्ड? इन खिलाड़ियों से...   ||    जिम्बाब्वे बनाम आयरलैंड: जिम्बाब्वे के क्रिकेटर ने 147 साल बाद बनाया अभूतपूर्व रिकॉर्ड   ||    Today's Significance: आज ही के दिन बाल गंगाधर तिलक पहली बार किए गए थे गिरफ्तार, जानें 27 जुलाई का इत...   ||    Fact Check: गाली देते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, जानें क्या हैं इस ...   ||    Sawan Shanivar 2024: सावन के पहले शनिवार पर जरुर करें ये 3 काम, वीडियो में जानें कैसे कम होंगे साढ़ेस...   ||    Today's Significance: आखिर क्यों आज के दिन मनाया जाता हैं कारगिल विजय दिवस, जानें 26 जुलाई का इतिहास   ||    Fact Check: चाय की बोतल में थूकते लड़के का वीडियो वायरल, जानें इस वायरल वीडियो की सच्चाई   ||    Shukrawar ke upay: फटाफट पाना है धन तो शुक्रवार को करें ये उपाय , माता लक्ष्मी संग कुबेर भर देंगे भं...   ||    बिहार विधानसभा ने सरकारी भर्ती परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और अन्य गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिए...   ||   

भ्रम में रही कांग्रेस नहीं पहुंची जनता के बीच, जानें MP में Congress की हार की 10 सबसे बड़ी वजहें

Photo Source :

Posted On:Monday, December 4, 2023

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर बीजेपी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, जन आक्रोश रैली, कांग्रेस की 11 गारंटी और नारी सम्मान योजनाएं काम नहीं आईं. आखिर क्या कारण हैं कि 18 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी को हराने में कांग्रेस एक बार फिर नाकाम रही.

1- कांग्रेस भ्रमित रही और जनता तक नहीं पहुंच पाई.


कांग्रेस ने पूरा चुनाव जनता के हाथ में छोड़ दिया. खुद कमलनाथ ने कहा कि सवाल कांग्रेस के भविष्य का नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के भविष्य का है. कांग्रेस को हमेशा यह भ्रम रहा है कि लोग बीजेपी से परेशान हैं और राज्य में बदलाव चाहते हैं.

2- महिलाएं खेती करने में असफल रहीं


शिवराज सिंह की लाडली ब्राह्मण योजना के विपरीत, कांग्रेस के पास महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए कोई विशेष योजना नहीं थी। प्रियंका गांधी ने मध्य प्रदेश में रैलियां तो कीं, लेकिन जनता खासकर महिलाओं को आकर्षित करने में पूरी तरह नाकाम रहीं.

3- कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी विवाद


कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की आपसी कलह भी हार का बड़ा कारण रही। कई बार उन्हें मंच पर एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बोलते देखा गया। कांग्रेस नेता एकजुट होने के बजाय बिखरे और बंटे हुए दिखे. खासकर बड़े नेताओं के रुख का असर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं पर पड़ा.

4-कमलनाथ अकेले संघर्ष करते रहे


मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से कमल नाथ अकेले लड़ते नजर आए. पार्टी के दिग्गजों में शुमार अरुण यादव, सुरेश पचौरी, दिग्विजय सिंह सक्रिय नहीं दिखे. साथ ही अजय सिंह राहुल, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, कमलेश्वर पटेल, जीतू पटवारी समेत कई नेता अपने-अपने क्षेत्रों में व्यस्त रहे.

5- कांग्रेस का कमजोर संगठन


जमीनी स्तर पर कांग्रेस संगठन काफी सुस्त और कमजोर नजर आया. न तो पार्टी नेताओं ने जनता से सीधे संवाद किया और न ही आम जनता को अपनी योजनाएं समझाने में सफल हुए. कुल मिलाकर कांग्रेस संगठन मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने में सफल नहीं रहा.

6. नेतृत्व में आत्मविश्वास की कमी


भारत जोड़ो यात्रा के जरिए भले ही राहुल गांधी ने आम लोगों से जुड़कर एक बड़े नेता के रूप में उभरने की कोशिश की, लेकिन असल में वह जनता का दिल नहीं जीत सके. कांग्रेस नेताओं में भी आत्मविश्वास की कमी थी, जिसका फायदा बीजेपी ने उठाया.

7. आंतरिक गुटबाजी


इस बार भी कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी देखने को मिली. टिकट बंटवारे की बात करें तो कांग्रेस के बड़े नेता अपने-अपने लोगों को टिकट दिलाने में लगे हुए हैं. कांग्रेस में दिग्विजय गुट, कमल नाथ गुट, पचौरी गुट, अरुण यादव और जीतू पटवारी गुट दिखे.

8. अनुचित बयान


कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 'पनौती' शब्द का इस्तेमाल किया, जो उल्टा पड़ गया. वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस की इस कमजोरी का फायदा उठाया और उसे अपनी पार्टी में तब्दील कर लिया. इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने मोदी को झूठों का नेता बताया. कांग्रेस को भी ऐसी बयानबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ा.

9- युवा नेताओं के पास कोई बैकअप नहीं है


युवा नेता कांग्रेस में बैकअप नहीं बन सके. विक्रांत भूरिया ही यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं और पेशे से डॉक्टर हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने का मुख्य कारण यह था कि कांग्रेस में युवा नेताओं को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी।

10-कमलनाथ कार्यकर्ताओं को समय नहीं देते


विश्लेषकों का मानना ​​है कि कमलनाथ नेता कम और किसी बड़ी कंपनी के मैनेजर ज्यादा लगते हैं. यहां तक ​​कि राजनीतिक बैठकों में भी उनका व्यवहार कॉरपोरेट मीटिंग की तरह ही रहता था. उन्होंने अपने विधायकों और कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए बहुत कम समय दिया. इससे कार्यकर्ताओं में अपने नेता के प्रति असंतोष बढ़ने लगा.


बनारस और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. banarasvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.