ताजा खबर
कनाडा सरकार ने इंफोसिस पर लगाया 82 लाख रुपये का जुर्माना   ||    Google Accidentally Deletes $125 Billion Pension Fund Account From Cloud   ||    प्रतिदिन 133 महिलाएँ अपने साथियों द्वारा मारी जा रही हैं; जानिए क्या है स्त्री हत्या और किन देशों ने...   ||    किर्गिस्तान भीड़ के हमलों के बीच भारत और पाकिस्तान ने छात्रों को अंदर रहने की चेतावनी दी   ||    वैज्ञानिकों ने खोजी ‘हत्यारी’ मकड़ी की नई प्रजाति, पैरों से दबोचती हैं शिकार, नाम भी अजीब   ||    छोटी उंगली को 360 डिग्री तक घुमा लेता है युवक, जिम से वायरल वीडियो को देख चुके हैं लाखों लोग   ||    प्रॉपर्टी या शेयर, किसमें लगाएं पैसा? घर की बढ़ रही कीमतें तो रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों की ऊंची...   ||    Kanya Utthan Yojana: बेटियों को 50 हजार रुपये दे रही सरकार, आज आवेदन करने की आखिरी तारीख   ||    Petrol Diesel Price Today: शनिवार को जारी हुई पेट्रोल-डीजल की कीमत? जानें ईंधन के नए रेट   ||    RCB Vs CSK: 18 मई को निर्णायक मुकाबला, अगर बारिश ने बिगाड़ा खेल… तो कौन करेगा क्वालीफाई   ||   

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बार बार सप्लीमेंट्री चार्जशीट करने को बताया गलत, जानिए पूरा मामला

Photo Source :

Posted On:Wednesday, March 20, 2024

मुंबई, 20 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बार बार सप्लीमेंट्री चार्जशीट करने को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी इसलिए ऐसा कर रही है, ताकि मामले में ट्रायल शुरू न हो पाए और आरोपी को जमानत न मिल सके। कोर्ट ने ईडी से कहा कि इस तरह की प्रैक्टिस गलत है। ऐसा करके किसी आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रख सकते। कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस मामले में शख्स 18 महीने से जेल में है। इससे हमें परेशानी हो रही है। किसी मामले में हम इस मुद्दे को उठाएंगे। जब आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू करना जरूरी होता है। अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की कैद का जिक्र किया, जिन्हें फरवरी 2023 में शराब नीति मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने यह टिप्पणी झारखंड के अवैध खनन मामले से जुड़े आरोपी प्रेम प्रकाश द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की। प्रकाश पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सहयोगी होने का आरोप है।

तो वहीं, मामले में ED की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू पेश हुए थे। जस्टिस खन्ना ने उनसे कहा कि डिफॉल्ट बेल का मकसद है कि जांच पूरी होने तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाए। आप यह नहीं कह सकते कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक मुकदमा शुरू नहीं होगा। ताकि शख्स को बिना ट्रायल के जेल में रहने के लिए मजबूर होना पड़े। जस्टिस खन्ना ने आगे कहा कि जब आप किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू किया जाना चाहिए। कानून के मुताबिक, अगर जांच पूरी नहीं हुई है तो जेल में बंद आरोपी डिफॉल्ट जमानत पाने का हकदार है। नहीं तो आपको फाइनल चार्जशीट CRPC या कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर दायर करनी चाहिए। यह समय सीमा 90 दिन तक होती है।


बनारस और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. banarasvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.