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वाराणसी के स्कूलों में हिंदी छात्रों को तमिल भाषा और संस्कृति से रूबरू कराएंगे शिक्षक

Photo Source : Google

Posted On:Friday, November 28, 2025

बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी से आई ये खबर स्कूलों में भाषाई राजनीति से परे एक सुखद पहल का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में अब हिंदी भाषी छात्र तमिल भाषा सीखेंगे। दो दिसंबर से तमिलनाडु के 50 शिक्षक और विद्वान स्थानीय स्कूलों के बच्चों को तमिल भाषा, खानपान, सांस्कृतिक परंपराओं और भारत की दो प्राचीन सभ्यताओं (काशी-तमिल) से परिचित कराएंगे। इस पहल का उद्देश्य छात्रों में भाषाई सम्मान, सांस्कृतिक जुड़ाव और तमिल भाषा में रोजमर्रा की बातचीत सीखना है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बनारस में आयोजित काशी तमिल संगमम (केटीएस) 2025 का चौथा संस्करण “तमिल सीखें-तमिल करकलम” थीम पर आधारित है। इसका उद्देश्य तमिल भाषा और साहित्यिक विरासत को बढ़ावा देना और भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं को जोड़ना है। यह कार्यक्रम काशी और तमिलनाडु के बीच एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक सेतु के रूप में उभर रहा है, जो दोनों क्षेत्रों की सभ्यता और परंपराओं का उत्सव है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के तहत, केटीएस का मकसद केवल भाषा सीखना नहीं बल्कि सभ्यतागत, सांस्कृतिक, भाषाई और लोगों के बीच संबंधों का सम्मान करना भी है। यह कार्यक्रम युवाओं के बीच सीखने का आदान-प्रदान, सांस्कृतिक विसर्जन और अकादमिक बातचीत बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, आईआईटी मद्रास और बीएचयू वाराणसी मिलकर इसे आयोजित कर रहे हैं, जबकि केंद्रीय संस्कृति, सूचना एवं प्रसारण, पर्यटन, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, उद्योग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, कौशल विकास मंत्रालय और यूपी सरकार भी सहयोग कर रही हैं।

तमिलनाडु से सात श्रेणियों में 1400 से अधिक प्रतिनिधि वाराणसी आएंगे। इसमें छात्र, शिक्षक, लेखक, कृषि क्षेत्र के लोग, पेशेवर, कारीगर, महिलाएं और आध्यात्मिक विद्वान शामिल हैं। आठ दिवसीय दौरे के दौरान यह दल वाराणसी के बाद प्रयागराज और अयोध्या में भगवान श्रीराम के दर्शन भी करेगा। इसके अलावा महाकवि सुब्रमण्यम भरतियार का पैतृक निवास, केदार घाट, काशी मदम, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर जैसे तमिल धरोहर स्थलों का दौरा भी शामिल है। दक्षिण भारतीय मेहमान स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू होंगे।


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