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H-1B वीजा पर ट्रंप के बदलते तेवर: व्हाइट हाउस ने दी सफाई, जानें क्या है असली वजह

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Posted On:Tuesday, November 25, 2025

H-1B वीजा को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिला है। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा की शर्तों में अचानक ढील दी थी, जिस पर अब व्हाइट हाउस ने आधिकारिक बयान जारी किया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के अनुसार, ट्रंप का रुख बिल्कुल सामान्य है और उनका लक्ष्य सिर्फ “अमेरिका फर्स्ट” नीति को मजबूत करना है।

कैरोलिन लेविट ने साफ कहा कि ट्रंप नहीं चाहते कि अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियां छीनकर किसी विदेशी नागरिक को दी जाएं। उन्होंने दावा किया कि कई अमेरिकी कर्मचारियों को H-1B वीजा धारकों से रिप्लेस किया जा रहा था, जिसके कारण ट्रंप को यह कदम उठाना पड़ा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ट्रंप विदेश कंपनियों को पूरी तरह रोकना नहीं चाहते, बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अमेरिकी वर्कफोर्स प्रभावित न हो।

व्हाइट हाउस की सफाई: विदेशी निवेश के खिलाफ नहीं हैं ट्रंप

लेविट ने अपने बयान में कहा कि ट्रंप यह मानते हैं कि अगर कोई विदेशी कंपनी अमेरिका में बड़े पैमाने पर निवेश करती है और शुरुआती चरण में अपने कर्मचारियों को साथ लाती है, तो यह समझदारी भरा कदम है। लेकिन लंबे समय में उन कंपनियों को अमेरिकी नागरिकों को नौकरी देनी चाहिए और स्थानीय वर्कफोर्स को स्किल डिवेलपमेंट का अवसर मिलना चाहिए। उनका कहना था, “H-1B वीजा पर ट्रंप का विचार सरल है—हम चाहते हैं कि विदेशों से स्किल्ड लोग आएं, लेकिन वे अमेरिकियों की जगह न लें, बल्कि उन्हें नई तकनीक सीखने में मदद करें और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएं।”

विदेशी कंपनियों के लिए ट्रंप का संदेश

कैरोलिन लेविट ने आगे कहा कि ट्रंप द्वारा लिए गए कई फैसले—जैसे टैरिफ बढ़ाना, विदेशी देशों के साथ व्यापार कम करना और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना—इसी नीति का हिस्सा हैं। लेविट ने कहा, “हम चाहते हैं कि विदेशी निवेश से अमेरिका को अरबों डॉलर का फायदा हो, लेकिन देश के युवाओं और पेशेवरों के रोजगार से समझौता नहीं किया जा सकता। जो कंपनियां अमेरिका में आकर निवेश कर रही हैं, वे अब अच्छी तनख्वाह पर स्थानीय लोगों को नौकरी दे रही हैं, जो ट्रंप की बड़ी उपलब्धि है।”

H-1B वीजा की बढ़ी हुई फीस पर विवाद

H-1B वीजा को लेकर सबसे बड़ा विवाद उस समय खड़ा हुआ जब ट्रंप ने इसकी फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (करीब 90 लाख रुपये) कर दी। इस फैसले पर भारी आलोचना हुई, जिसके बाद प्रशासन सफाई देने में जुटा। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह फीस वन-टाइम है और इसे बार-बार नहीं देना होगा। साथ ही, यह नियम पहले से मौजूद H-1B वीजाधारकों पर लागू नहीं होगा। नए आवेदकों के लिए यह प्रावधान इसलिए रखा गया है ताकि सिर्फ उच्च कौशल वाले लोग ही अमेरिका में प्रवेश करें।

समर्थकों में नाराजगी, ट्रंप का स्पष्टीकरण

ट्रंप के समर्थकों के बीच यह धारणा बनी कि बढ़ी हुई फीस और कड़े नियमों से विदेशी प्रतिभाएं अमेरिका आने से पीछे हट सकती हैं, जिससे तकनीकी क्षेत्र पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इस आलोचना को देखते हुए ट्रंप ने बयान जारी किया कि वे चाहते हैं कि “स्किल्ड विदेशी लोग अमेरिका आएं और यहां के लोगों को उन्नत कौशल सिखाएं। इससे अमेरिकी वर्कफोर्स ज्यादा सक्षम होगी और देश में उच्च वेतन वाली नौकरियां बढ़ेंगी।”


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