भारतीय राजनीति में कांग्रेस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को हमेशा दो विपरीत ध्रुवों के रूप में देखा गया है। जहां कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व, विशेषकर गांधी परिवार, संघ की विचारधारा का मुखर आलोचक रहा है, वहीं समय-समय पर कांग्रेस के भीतर से ही संघ की कार्यप्रणाली, अनुशासन और देशभक्ति की प्रशंसा में आवाजें उठती रही हैं।
दिग्विजय सिंह जैसे कट्टर आलोचक द्वारा हाल ही में संघ की प्रशंसा करना कोई इकलौती घटना नहीं है, बल्कि यह उस लंबी फेहरिस्त का हिस्सा है जिसमें कई कांग्रेसी दिग्गज शामिल रहे हैं।
कांग्रेस और RSS: वैचारिक टकराव के बीच प्रशंसा के स्वर
दिसंबर 2025 के इस राजनीतिक माहौल में दिग्विजय सिंह का बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि उन्होंने बाद में स्पष्टीकरण दिया, लेकिन उनके शब्दों ने उस बहस को फिर से जिंदा कर दिया है कि क्या कांग्रेस के जमीनी नेता संघ के 'कैडर' आधारित अनुशासन से प्रभावित हैं?
1. राहुल गांधी की चेतावनी और आंतरिक द्वंद्व
राहुल गांधी लंबे समय से अपनी पार्टी के उन नेताओं को चेतावनी देते रहे हैं जो संघ की विचारधारा के प्रति नरम रुख रखते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि "जो डरे हुए हैं, वे कांग्रेस छोड़कर आरएसएस में जा सकते हैं।" यह संदेश उन नेताओं के लिए था जो निजी चर्चाओं में संघ के 'राष्ट्र निर्माण' और 'अनुशासन' की सराहना करते हैं। राहुल के अनुसार, कांग्रेस को निडर लोगों की जरूरत है, न कि उन लोगों की जो विपक्षी विचारधारा के मुरीद हों।
2. ओडिशा से मध्य प्रदेश तक: संघ के मुरीद कांग्रेसी
पिछले कुछ वर्षों में कई कांग्रेस नेताओं ने सार्वजनिक मंचों से संघ की तारीफ की है:
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किशोर पटेल (ओडिशा): ओडिशा विधानसभा के पूर्व स्पीकर किशोर पटेल ने इसी साल संघ के सौ साल पूरे होने के अवसर पर उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की रक्षा और चरित्र निर्माण में संघ का योगदान अद्वितीय है। उन्होंने संघ के प्रचारकों के बलिदान और देशभक्ति को अनुकरणीय बताया।
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भैरो सिंह परिहार (मध्य प्रदेश): सुसनेर से कांग्रेस विधायक भैरो सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेसी होने के बावजूद उनका संबंध संघ से रहा है और उन्होंने संघ के लिए काम किया है।
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सज्जन सिंह वर्मा (मध्य प्रदेश): पूर्व सांसद सज्जन सिंह वर्मा ने कांग्रेस के 'एसी कल्चर' पर प्रहार करते हुए संघ की लगन की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि संघ के कार्यकर्ता मिशन के लिए जंगलों में भटकते हैं, जबकि कांग्रेस के नेता कमरों से बाहर नहीं निकलते।
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दीपक बाबरिया: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाबरिया ने तो कार्यकर्ताओं को नसीहत दी थी कि उन्हें अनुशासन के मामले में संघ से सीख लेनी चाहिए।
[Table: कांग्रेस नेताओं के चर्चित बयान]
| नेता का नाम |
राज्य |
प्रमुख टिप्पणी |
| किशोर पटेल |
ओडिशा |
"हिंदुत्व और चरित्र निर्माण के लिए संघ का समर्पण अतुलनीय है।" |
| भैरो सिंह |
मध्य प्रदेश |
"कांग्रेसी होने के बाद भी मेरा संबंध RSS से है।" |
| सज्जन सिंह वर्मा |
मध्य प्रदेश |
"संघ के कार्यकर्ता लगनशील हैं, हमारे नेता AC से बाहर नहीं निकलते।" |
3. अनुशासन बनाम विचारधारा
इन बयानों का विश्लेषण करें तो समझ आता है कि कांग्रेसी नेता अक्सर संघ की विचारधारा की नहीं, बल्कि उसके कार्य-संगठन (Work-Culture) की प्रशंसा करते हैं। संघ का बूथ स्तर तक फैला नेटवर्क और स्वयंसेवकों की बिना शर्त निष्ठा अक्सर उन कांग्रेसी नेताओं को प्रभावित करती है जो अपनी पार्टी में बिखराव और अनुशासन की कमी महसूस करते हैं।
निष्कर्ष
दिग्विजय सिंह हों या अन्य क्षेत्रीय नेता, संघ की तारीफ अक्सर कांग्रेस के भीतर एक आत्ममंथन की तरह उभरती है। जहां पार्टी नेतृत्व इसे 'वैचारिक कमजोरी' मानता है, वहीं कई नेता इसे एक 'संगठनात्मक मॉडल' के रूप में देखते हैं। राहुल गांधी के सख्त रुख के बावजूद, कांग्रेस के भीतर संघ के प्रति यह 'सॉफ्ट कॉर्नर' पार्टी के लिए एक वैचारिक चुनौती बना हुआ है।