नई दिल्ली, 19 अप्रैल । भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता में यूएई की मध्यस्थता की भूमिका को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को कहा कि आखिर भारत कैसे किसी तीसरे पक्ष को मध्यस्थता के लिए तैयार हुआ है। उन्होंने पूछा कि सरकार क्यों कश्मीर जैसे अंदरूनी मसले का भी अंतरराष्ट्रीयकरण करने में लगी है।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक राजनयिक ने भारत और पाकिस्तान के बीच संपर्क स्थापित कराने के लिए उनके देश की ओर से मध्यस्थता करने का दावा किया है।1972 के शिमला समझौते के बाद भारतीय कूटनीति की सफलता रही है कि हम पाकिस्तान से द्विपक्षीय रूप से मामले सुलझाते रहे हैं। इसमें किसी भी देश की मध्यस्थता नहीं होती है। इस सरकार के शासनकाल में न सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच अन्य सूत्रों द्वारा मध्यस्थता हो रही है बल्कि जम्मू कश्मीर जैसे आंतरिक मामले का भी अंतरराष्ट्रीयकरण कर दिया गया है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि वर्तमान सरकार विवेक से काम लेगी और भारत द्वारा वर्षों से अपनाई जा रही जांची-परखी नीतियों पर लौटेगी।’
दरअसल, बीते शुक्रवार को यूएई के राजदूत ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच अपेक्षित सामान्य संबंध बनाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात प्रयास कर रहा है। इसी बात को लेकर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल किया है कि भारत कैसे द्विपक्षीय मामलों में किसी तीसरे को मध्यस्थता करने दे सकता है?